शिमला:
हिमाचल प्रदेश के समेज गांव को न जाने किसकी नजर लग गई है. हरा-भरा समेज श्मशान हो चुका है. चारों ओर मलबा फैला है. समझ नहीं आता, बुधवार (31 जुलाई) की उस काली रात आखिर रातोंरात ऐसा हुआ क्या होगा. अब गांव के मलबे पर जेसीबी मशीनों का शोर गूंज रहा है. और अगर कुछ सुनाई देता है तो चीत्कार, सिसकियां… गांव के लापता लोगों की तलाश चल रही है. शायद कुछ चमत्कार हो जाए. मलबे से कोई जिंदा निकल आए, यह उम्मीद लोगों में अभी भी जिंदा है. इंस्टाग्राम पर अपनी दो बच्चों संग हंसती-हंसाती कल्पना कहीं सकुशल मिल जाए, यह दुआएं चल रही हैं. लेकिन गांव की मंजर जैसा है, वह कई बार हौसले और उम्मीदों को तोड़ता है.
कल्पना केदारटा महज 34 वर्ष की थी और इंस्टाग्राम पर काफी एक्टिव थी. कल्पना इंस्टाग्राम पर अपनी बेटी अक्षिता (उम्र 7) और बेटा अद्विक (उम्र 4 वर्ष) के साथ कई सारी रील्स बनाकर डालती थी. अब कल्पना और उसके बच्चों की यादें ही बचीं हैं. समेज गांव के लापता 30 से अधिक लोगों का अब तक कुछ पता नहीं चला सका है. इन्हीं लोगों में कल्पना केदारटा और उसके दो बच्चे शामिल हैं. कल्पना की बेटी चौथी और बेटा पहली कक्षा में पढ़ता था.
समेज गांव शिमला और कुल्लू जिले की सीमा पर स्थित है. 31 जुलाई को आई बाढ़ में इस गांव का एक घर छोड़कर सभी बह गए.
कुछ दिनों में छोड़ने वाली थी समेज गांव
जानकारी के अनुसार कल्पना एक पावर प्रोजेक्ट में अकाउंटेंट के तौर पर कार्य करती थी और उनका ट्रांसफर हो गया था. वो कुछ दिनों में समेज गांव छोड़ने वाली थी. लेकिन उससे पहले ही उनका परिवार उजड़ गया. इस हादसे में कल्पना के पति जय सिंह ही बचे हैं. दरअसल किसी काम के चलते उस रात जय सिंह गांव में नहीं थे. जिसके कारण उनकी जान बच गई. जय सिंह बस यही दुआ कर रहे हैं कि कुछ चमत्कार हो जाए और उनका परिवार वापस उन्हें मिल जाएगा.
हादसे से पहले बनाई रील
हादसे से एक दिन पहले कल्पना ने एक रील बनाई थी. जिसमें कल्पना कह रही थी, यार मैं सोझ रही थी कि लोग कहते हैं कि काम कर लो.., नहीं मौत आती.., अगर आ गई तो.., मैं इतना बड़ा रिस्क कैसे ले लूं… मैंने तो जिंदगी में कुछ नहीं देखा अभी… इस रील के चंद घंटे बाद 31 जुलाई की रात कल्पना केदारटा और उसके बच्चे बाढ़ में बह गए.
31 जून को मानसून के आगमन से लेकर तीन अगस्त तक हिमाचल प्रदेश को 662 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. राज्य आपातकालीन अभियान केंद्र के अनुसार, बारिश से संबंधित घटनाओं में 79 लोगों की जान जा चुकी है.
समेज स्कूल के 10 बच्चे लापता
शिमला के रामपुर में बादल फटने की घटना से एक तरफ जहां पूरा गांव बाढ़ में बह गया है. वहीं समेज सीनियर सेकेंडरी स्कूल के 10 बच्चे लापता हैं. समेज स्कूल के 8वीं कक्षा के छात्र अश्विन और कार्तिक कहते है कि बादल फटने के पहले दिन हम स्कूल थे. लेकिन अब स्कूल बाढ़ में बह गया है. हमारी क्लास की छात्राएं बह गई… लापता हैं. बहुत ख़राब लग रहा है सब कुछ बाढ़ में बह गया है.
समेज गांव के बुजुर्ग बक्शी राम के परिवार के 14 से 15 सदस्य बाढ़ में बह गए. देर रात 2 बजे घटना की जानकारी मिली. तो वो समेज आए. दरअसल जिस समय ये बाढ़ आई थी बक्शी रामपुर में था. इसलिए वो बच गए. सुबह 4 बजे जब यंहा पहुंचा तो सब कुछ खत्म था. अब वो अपनों की तलाश कर रहे हैं.
रामपुर समेज की अनिता देवी के अनुसार इस आपदा में बस उनका ही घर बचा है. बुधवार रात उन्हें धमाका सुनाई दिया और देखते ही देखते पूरे गांव के घर बह गए. गांव वाले भागते हुए उनके घर आए. यहां से फिर ये सब एक मंदिर चले गए. यहां पर उन्होंने पूरी रात काटी. रोत हुए अनिता देवी ने कहा कि पूरा गांव बह..मैं अब किसके साथ रहूं.
कई परिवारवाले अपनों की खोज में रोज समेज गांव में आ रहे हैं. हर किसी को बस यही उम्मीद है कि काश उनके परिवार का खोया हुआ सदस्य मिल जाए. सर्च अभियान के दौरान लाइव डिटेक्टर डिवाइस का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये सेंसर डिवाइस मलबे के नीचे दबी जिंदगियों की खोज में बेहद ही सहायक होता है. इसके अलावा स्निफर डॉग की सहायता भी ली जा रही है.
बता दें हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है. जबकि अभी भी कई लोग लापता है. 31 जुलाई की रात कुल्लू के निरमंड, सैंज व मलाणा, मंडी जिले के पधर और शिमला के रामपुर उपखंड में बादल फटने से भारी तबाही मचा गई. इन घटनाओं के बाद अब भी 40 से अधिक लोग लापता हैं. जिनकी तलाश अभी भी जारी है.
राज्य सरकार ने शुक्रवार को पीड़ितों के लिए 50,000 रुपये की तत्काल राहत की घोषणा की थी और कहा था कि उन्हें अगले तीन महीनों के लिए किराए के लिए 5,000 रुपये मासिक दिए जाएंगे, साथ ही गैस, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी दी जाएंगी.