बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. शेख हसीना के इस्तीफे की मांग से प्रदर्शनकारी पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं. वहीं, बांग्लादेशी सेना में भी अब प्रदर्शनकारियों के लिए सॉफ्ट कॉर्नर नजर आ रहा है. प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ सरकार के बीच टकराव में अब 98 लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे में सेना ने कहा है कि अब वह प्रदर्शनकारियों पर गोलियां नहीं चलाएंगे. इधर, छात्र नेताओं ने प्रधानमंत्री हसीना की बातचीत की पेशकश ठुकरा दी है. ऐसे में सुलग रहे बांग्लादेश शांति कैसे कायम होगी? इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, बांग्लादेश आर्मी चीफ (सीएएस) ने सेना मुख्यालय में अधिकारियों के साथ सेना की तैनाती पर चर्चा की और घोषणा की कि प्रदर्शनकारियों पर अब एक भी गोली नहीं चलाई जाएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के एक सूत्र ने कहा, “अपने अंतिम शब्दों में (सेना के अधिकारियों को संबोधित करते हुए), आर्मी चीफ ने कहा कि सेना द्वारा आगे कोई गोलीबारी नहीं की जाएगी.” उन्होंने यह भी कहा कि यदि सत्ता का परिवर्तन गैर-लोकतांत्रिक तरीके से हुआ, तो बांग्लादेश, केन्या जैसा बन जाएगा. उन्होंने कहा, “ये देश में 1971 के बाद सबसे बड़ा और हिंसक विरोध प्रदर्शन है.”
बांग्लादेश में राजनीतिक टिप्पणीकार प्रोफेसर नजमुल अहसन कलीमुल्ला ने बताया, “हमें विश्वास है कि सेना का इरादा अच्छा है, क्योंकि उन्होंने शपथ ली हैं और पाकिस्तानी सेना की तरह नहीं हैं जो तख्तापलट करने की धमकी देगी. प्रदर्शनकारियों ने बातचीत के लिए प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. वे अब उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.” प्रदर्शनकारियों ने 4 अगस्त से पूरे देश में असहयोग आंदोलन शुरू करने की योजना बनाई है और जनता से काम पर जाने, गैस, पानी, बिजली के बिलों का भुगतान करने और सरकारी मानदंडों का पालन करने से बचने का आग्रह किया है.
बांग्लादेश राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगर असहयोग आंदोलन प्रभावी हो जाता है, तो सरकार को आपातकाल की स्थिति घोषित करनी होगी, और अगर चीजें नहीं सुलझीं, तो मार्शल लॉ लगाया जा सकता है. सेना प्रमुख ने हिंसा के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए अराजकता के बीच सेना की तैनाती को सही ठहराया है. इस बीच, हालात की गंभीरता को देखते हुए बांग्लादेश में 8500 भारतीय छात्रों में से 7100 भारत लौट आए हैं. भारत ने बांग्लादेश को लेकर एक ट्रैवल एडवाइजरी भी जारी की है. बांग्लादेश में लगभग 15,000 भारतीय हैं और यदि हालात नहीं सुधरते हैं, तो स्वदेश लौटने वाले लोगों की संख्या और बढ़ सकती है.