नई दिल्ली: विश्व पुस्तक मेले के चौथे दिन हॉल नंबर पांच में लेखक मंच पर डॉ. ऋषि राज की पुस्तक ‘पिक्टोरियल बायोग्राफीज ऑफ कारगिल हीरोज’ का विमोचन किया गया। इसे प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस अवसर पर पुस्तक के लेखक ने स्कूल के बच्चों को पुस्तक भेंट कर अपना स्नेह और प्रेरणा दी। डॉ. ऋषि राज ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “मैं सिर्फ अपना कर्तव्य निभा रहा हूं। इस पुस्तक के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहा हूं और देश के सच्चे हीरो की कहानियां बता रहा हूँ।”
उन्होंने बच्चों को संदेश देते हुए कहा, “अगर मैं जिऊंगा तो देश के लिए और अगर मरूंगा तो भी देश के लिए। जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ, तब मैं 24 साल का था। उस समय युद्ध को देखकर मेरे मन में भी देशभक्ति की भावना जागी। मैं हमेशा से भारतीय सेना में जाना चाहता था, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण यह संभव नहीं हो सका। शायद यह मेरी किस्मत में नहीं था।” डॉ. ऋषि राज ने आगे कहा, “भारतीय सेना में जाने के लिए केवल इच्छा ही नहीं, बल्कि जुनून और समर्पण की भावना भी जरूरी है। हमें अपने सैनिकों को केवल 15 अगस्त या 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर ही नहीं, बल्कि हर समय याद रखना चाहिए। देशभक्ति एक भावना है, जिसे हर समय अपने दिल में जीवित रखना चाहिए। जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है, उनकी कहानियां हर भारतीय तक पहुंचनी चाहिए।” अंत में उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा, “अगर फौजी बनना है तो फौजी जैसा व्यवहार करना शुरू कर दो।” इस अवसर पर प्रभात प्रकाशन के निदेशक पीयूष कुमार और प्रभात कुमार मौजूद थे।