दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। रविवार को उन्होंने घोषणा की थी कि वे अगले 48 घंटों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। उनके इस अप्रत्याशित फैसले ने पार्टी और विपक्षी दलों को चौंका दिया है। सोमवार को आम आदमी पार्टी (AAP) की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) की बैठक के बाद यह तय हुआ कि मंगलवार को केजरीवाल उपराज्यपाल (LG) वी. के. सक्सेना से मुलाकात करेंगे और उन्हें अपना इस्तीफा सौंपेंगे। इसके साथ ही AAP के विधायक भी मंगलवार सुबह 11:30 बजे उनके आवास पर मिलेंगे, जहां नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होने की संभावना है।
केजरीवाल के इस्तीफे का कारण उनका दिल्ली शराब नीति घोटाले में फंसना बताया जा रहा है। लगभग छह महीने जेल में बिताने के बाद, उन्हें हाल ही में जमानत पर रिहा किया गया था। इस दौरान विपक्ष और भाजपा ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। कहा जा रहा है कि अपने खिलाफ लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए केजरीवाल नैतिक आधार पर इस्तीफा दे रहे हैं, ताकि दिल्ली में जल्दी चुनाव हो सकें। AAP की ओर से स्पष्ट किया गया है कि मनीष सिसोदिया, जो पार्टी में दूसरे स्थान पर हैं, नए मुख्यमंत्री नहीं होंगे। इसके बजाय, केजरीवाल ने कहा कि AAP के किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जाएगी, जब तक कि चुनाव नहीं होते।
AAP के आंतरिक सूत्रों के अनुसार, दिल्ली सरकार के मंत्रियों अतीशी, गोपाल राय और कैलाश गहलोत के नाम नए मुख्यमंत्री के लिए प्रमुखता से चर्चा में हैं। इन तीनों नेताओं का नाम पार्टी के उच्चस्तरीय बैठकों में सामने आया है, और PAC की बैठक के बाद इस पर और चर्चा की जाएगी। मंगलवार को होने वाली विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम की औपचारिक घोषणा की जाएगी। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अगले 1-2 दिनों में नए मुख्यमंत्री का चयन हो जाएगा।
भाजपा ने केजरीवाल के इस फैसले को मजबूरी करार दिया है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल का इस्तीफा मजबूरी से प्रेरित है, न कि किसी नैतिक सिद्धांत से। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार के किसी भी विभाग में भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं थी। इसके साथ ही भाजपा ने दिल्ली में अक्टूबर में चुनाव कराने की मांग की है, जबकि AAP का इरादा नवंबर में चुनाव कराने का है। भाजपा का दावा है कि वे अक्टूबर में ही चुनाव के लिए तैयार हैं।
केजरीवाल के इस्तीफे पर कांग्रेस ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने इस इस्तीफे को “व्यवसायिक कदम” बताया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल यह कदम इसलिए उठा रहे हैं ताकि सत्ता की बागडोर अपने किसी करीबी को सौंप सकें और उनके खिलाफ चल रहे मामलों की फाइलें न खुल सकें। दीक्षित ने AAP को “व्यवसायिक उद्योग” कहा, जहां समय-समय पर सत्ता का हस्तांतरण होता रहता है।
इस बीच, AAP के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि पार्टी अब हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएगी। पार्टी के नेता संदीप पाठक ने कहा कि जल्द ही गांव-गांव जाकर पार्टी प्रचार अभियान चलाएगी। वहीं, भाजपा ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए अवैध धन का उपयोग किया था, और उनका इस्तीफा एक तरह से दिखावटी कदम है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केजरीवाल का यह कदम उनके राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने इसे “राजनीतिक तमाशा” करार दिया और कहा कि केजरीवाल हमेशा से अप्रत्याशित कदम उठाने में माहिर रहे हैं। यह इस्तीफा भी उसी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वे खुद को एक ईमानदार और नैतिक नेता के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं।
मंगलवार को केजरीवाल के उपराज्यपाल से मिलने के बाद दिल्ली की राजनीतिक स्थिति और स्पष्ट होगी। इसके साथ ही नए मुख्यमंत्री की घोषणा और दिल्ली में संभावित चुनाव की तारीखें भी जल्द सामने आ सकती हैं।