नर्मदापुरम मां नर्मदा नदी की पवित्रता से पहचाना जाता है परंतु यहां पर पदस्थ कुछ उच्च विभाग के अधिकारी इस छवी को धूमिल करने में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं ।
हाल ही में RTO अधिकारी निशा चौहन व परमिट अधिकारी बी.पी. शर्मा द्वारा 4 साल से (पांढुरना से इंदौर) चल रही गाड़ी का परमिट, फिटनेस के आधार पर निरस्त करके दुसरे मोटर मालिक को बड़ी रकम लेकर उसी समय में संचालन के लिए दे दिया गया। ये मामला न सिर्फ घूस लेकर काम करने का है बल्कि अचार संहिता में ही अपने पद का दुरुपयोग करने का भी है।
जहां आचार संहिता में किसी प्रकार के परमिट जारी नही किए जाते है वही नर्मदापुरम की RTO अधिकारी निशा चौहान ने 4 साल से संचालित पांढुरना से इंदौर परमिट गाड़ी के फिटनेस को निरस्त करने के अगले ही माह बिना प्रकाशन और बिना सुनवाई के दूसरे मोटर मालिक को बेचा और बदले में उससे लाखों रुपए लिए। इस कारण 4 साल से बस चला रहे बस ऑपरेटर ने अपनी बस का समय संचालन खोया और उन्हें अपनी गाड़ी की फिटनेस के लिए उचित समय भी नही दिया गया और ना ही उनके सामने इस विषय पर कोई सुनवाई की गई।
ये रवव्या अधिकारी के खुलेआम भ्रष्टाचार करने का उदाहरण है और आश्चर्य की बात है की पूरा विभाग इन परमिट अधिकारियों के रवव्ये से वाकिफ है और फिर भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। क्या अधिकारी इतने भ्रष्ट हो सकते है, जिनके हाथों में परिवहन विभाग को सुनियोजित तरीके से चलाने की कमान है? अपने पद का सरेआम दुरुपयोग एवम निर्वाचन के समय में आचार संहिता के नियमों का उलघ्हन करने पर इनके ऊपर करवाई हो ।
या फिर यूं कहे की क्या किसी मंत्री या बड़े राजनेता की छत्रछाया में अधिकारी इतना फल फूल रहे हैं? आखिर ऐसा करने का अधिकार मिला कहा से? कोई तो कड़ी होगी जिसके बल पर खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है । अगर ऐसा हैं तो ये इकलौता ऐसा मामला नही है, रोज़ ऐसे गेरकानुनी कामों को घुस के जरिए अंजाम दिया जा रहा होगा। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।