पहलगाम आतंकी हमले से पाकिस्तान-हमास का कनेक्शन आया सामने? अटैक का तरीका एक, PoK में मीटिंग…

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद एक बार फिर आतंकवाद के पनाहगार पाकिस्तान का चेहरा पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है. कायराना आतंकी हमले में 26 मासूमों को मौत के बाद भारत एक्शन मोड में आ चुका है, पाकिस्तान को निशाना बनाने के लिए बैक-टू-बैक पांच डिम्लोमैटिक स्ट्राइक किए गए हैं. सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों को पकड़ने के लिए पूरे जम्मू-कश्मीर में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं, दिल्ली में हाई लेबल मीटिंग्स में अगली रणनीति तैयार की जा रही है और देशभर में मृतकों का पार्थिव शरीर देश के कोने-कोने में अपने घरों पर लौट पर रहा है. ऐसे में पहलगाम हमले की चर्चा के बीच पाकिस्तान और हमास का खूनी कनेक्शन भी सामने आ रहा है. एक्सपर्ट पहलगाम हमले के तरीके की तुलना इजरायल पर हुए हमास के अटैक से जोड़ रहे हैं. चलिए समझने की कोशिश करते हैं क्यों.

हमास एंगल क्यों खोजा जा रहा?

अमेरिकी पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने गुरुवार, 24 अप्रैल को कहा कि पहलगाम में हुआ हमला दरअसल आतंकवादी संगठन हमास द्वारा इजरायल में 7 अक्टूबर 2023 को किए गए हमले के समान था. हमास के इसी हमले के बाद इजरायल-गाजा युद्ध शुरू हुआ था. इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस चीफ शीश पॉल वैद ने भी दावा किया कि पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकवादी हमला “पुलवामा 2.0 मोमेंट” था और कहा कि भारत को कुछ इस तरह से जवाब देना चाहिए जैसे कि इजरायल ने हमास के हमले पर दिया है. न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए वैद ने कहा कि पहलगाम के पिकनिक स्पॉट पर हुआ आतंकी हमला 7 अक्टूबर को फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास द्वारा इजरायल में किए गए हमले जैसा ही है.

क्या हमास के आतंकियों को अपने यहां बुलाकर सीख रहा पाकिस्तान?

पुलवामा में हुए आतंकी हमले से लगभग 57 दिन पहले ही हमास के बड़े अधिकारी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद थे. द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हमास के एक सीनियर अधिकारी ने 4 फरवरी को पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoJK) में भारत विरोधी आतंकवादी मीटिंग में भाग लिया. इस घटना पर नजर रख रही भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसे कहा कि यह पाकिस्तान नैरिटिव बनाने की कवायद कर रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार ईरान में हमास के प्रवक्ता और प्रतिनिधि खालिद अल-कादौमी ने 4 फरवरी को कट्टरपंथी इस्लामी नेता मौलाना फजलुर रहमान से उनके घर पर मुलाकात की. रहमान के नेतृत्व वाले जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पाकिस्तान ने सोशल मीडिया पर उनकी मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो शेयर किए और कहा कि फिलिस्तीन की मौजूदा स्थिति पर चर्चा हुई.

इसके बाद, टेलीग्राम चैनल पर तेजी से शेयर किए गए एक उर्दू पैम्फलेट में दावा किया गया कि अल-कादौमी रावलकोट के शहीद साबिर स्टेडियम में ‘कश्मीर एकजुटता’ और ‘अल अक्सा बाढ़’ के विषयों के साथ एक कार्यक्रम में भाग लेंगे. इस कार्यक्रम में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का भाई तल्हा सैफ, जैश कमांडर असगर खान कश्मीरी और मसूद इलियास मौजूद था. खास बात है कि पाकिस्तान 5 फरवरी को ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ के रूप में मनाता है, यह और कुछ नहीं बस जम्मू-कश्मीर में अपने अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पाकिस्तान का एक प्रचार का हथकंडा भर है.

हमास के लिए पाकिस्तान में प्यार खुल्लम-खुल्ला दिखाया जाता है, जबकि हमास को अमेरिका से लेकर तमाम यूरोपीय देशों ने आतंकी संगठन करार दे रखा है. दिसंबर 2024 में, जमात-ए-इस्लामी ने इस्लामाबाद में एक सामूहिक रैली निकाली थी. इस रैली में पार्टी के नेता ने पाकिस्तानी सरकार से मांग की कि हमास को एक वैध सैन्य बल के रूप में मान्यता दे दी जाए. पिछले साल ही अगस्त में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पाकिस्तान के लीडर रहमान ने कतर में हमास नेताओं से मुलाकात की थी और उसके पूर्व नेता इस्माइल हानियेह की मौत पर शोक जताया था.

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार सेंटर फॉर सिक्योरिटी, स्ट्रैटेजी एंड टेक्नोलॉजी के डॉयरेक्टर समीर पाटिल ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में अपने आर्टिकल में लिखा है कि लश्कर ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष जैसी वैश्विक घटनाओं के फुटेज दिखाकर युवाओं को कट्टरपंथी बनाया है.

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