यातायात के सभी वाहन सुगम यात्रा के लिए होते है जिनके द्वारा व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान तक निर्भीक होकर सुगम यात्रा कर सके। पर क्या हो जब यात्री को यह ज्ञात ही ना हो की जिस वाहन में वह यात्रा कर रहे है वह किसी भी प्रकार से सड़क पे चलने योग्य नहीं है।
फिर से ऐसा ही एक मामला भोपाल से सामने आया है जहां एक बस मालिक की बस क्रमांक MP 04 PA 2576 जो कि भोपाल से खातेगाँव संचालित होती है जिसके अन्तर्गत तीन जिले आते है भोपाल सीहोर और देवास।
इस बस में सिंगल गेट होने से यात्रियों को कराई जा रही असुरक्षित यात्रा के संबंध में कई दफा अन्य ऑपरेटर द्वारा शिकायत की जा चुकी है। परन्तु तीनों जिलों के परिवहन विभाग के अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी जिससे कोई कार्यवाही हों सके।क्या गुना बस हादसा विभाग की आंख खोलने के लिए काफी नही है? या फिर कोई हादसे का इंतजार किया जा रहा है।
जैसा की इस बस में यात्रियों के चढ़ने उतरने के लिए एक ही द्वार है जो कि नियमो के विरूद्ध है। आपातकाल की स्तिथि में बस में एक ही द्वार होने से कईं लोगों की जान को जानबूझ कर खतरे में डाला जा रहा है । जबकि मोटरयान नियम 164 में संशोधन के बाद ये साफ कर दिया गया था की बस में चढ़ने और उतरने के लिए अलग अलग दरवाज़े होना आवश्यक है। इस बस में इमरजेंसी गेट भी पर्याप्त न होने के बावजूद भी ये बेफिक्र तरीके से सड़क पर रोज़ दौड़ रही है। जिसका फिटनेस और परमिट हर महीने धड़ाधड़ जारी कर दिए जा रहे हैं, बस मात्र 26 सीटों के साथ पंजीकृत है पर वास्तविकता में इसमें अधिक सीटें लगाकर टैक्स की चोरी भी खुलेआम की जा रही है एवं भोपाल से बस की टाइमिंग मे अधिक अंतराल होने से सवारियों को ठूस ठूस कर भरा जाता है जिसकी सूचना परिवहन विभाग के पास भी है, परंतु विभाग ने क्यों अब तक कोई कार्यवाही नहीं की। इस बस को पूर्णतः गैरकानूनी ढंग से संचालित किया जा रहा है जो कि भविष्य में अगर जानमाल की हानि होती भी है तो विभाग की लापरवाही से होगी और इससे बड़ी घटना होना कोई आश्चर्य की बात नही होगी।
इस गंभीर मामले से पूरी तरह साफ होता है की बस मालिक का परिवहन विभाग एवम कार्यालय अधिकारी से विशेष संबंध है जिसके चलते उसे भरपूर लाभ मिल रहा है।
इतनी शिकायतों के बाद भी यदि अधिकारियों पर कोई असर नहीं हो रहा है जो कि न सिर्फ भ्रष्टाचार का बल्कि आम जनता की सुरक्षा का विषय है ।