नई दिल्ली:
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए तारीख का ऐलान हो गया है. कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर ने अपने उम्मीदवारों की दो-दो लिस्ट भी जारी कर दी हैं. लेकिन भाजपा ने अभी तक कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं है. ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं, आखिर क्यों भाजपा ने अभी तक किसी उम्मीदवार का नाम फाइनल नहीं किया है? भाजपा सूत्र का कहना है कि हम किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. एक प्रक्रिया के तहत उम्मीदवारों के नामों पर विचार चल रही है और केंद्रीय चुनाव समिति सीईसी की बैठक के बाद नामों की घोषणा होगी.
भाजपा सूत्र ने बताया कि कर्नाटक में प्रत्याशियों के नाम तय करने में कोई देरी नहीं हो रही है. यह पहले से तय था कि केंद्रीय चुनाव समिति सीईसी की बैठक 10 या 11 अप्रैल को होगी. बीजेपी ने कर्नाटक में ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति अपनाई है. पार्टी कांग्रेस और जेडीएस के उम्मीदवारों की सूची भी देख रही है.
उन्होंने बताया कि उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए भाजपा बेहद गंभीरता से विचार कर रही है. कई पहलुओं पर गौर किया जा रहा है. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में, आंतरिक सर्वेक्षण, आंतरिक चुनाव और जनमत सर्वेक्षण किए गए हैं. प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय नेताओं से तीन सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों को वोट देने के लिए कहा गया. वोटिंग स्लिप थीं और उनसे अपनी पसंद मार्क करने को कहा गया था. मतपेटियों को फिर बेंगलुरु लाया गया और परिणाम के आधार पर, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में तीन नामों को अंतिम रूप दिया गया. इसके बाद इन नामों को आंतरिक सर्वेक्षण और जनमत सर्वेक्षणों से जोड़ा गया.
भाजपा सूत्र ने बताया कि हाल ही में संपन्न हिमाचल प्रदेश चुनाव में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई गई थी. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि उम्मीदवार के चयन के लिए तीन मानदंड हैं: इमेज, विनेबिलिटी और डेनिएबिलिटी (मौजूदा विधायक को टिकट से वंचित करना). राज्य कोर ग्रुप ने सप्ताहांत में बैठक कर संभावित उम्मीदवारों के नामों पर जिलेवार चर्चा की है. ये नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेजे जाएंगे. 14 अप्रैल को नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भाजपा द्वारा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने की संभावना है. यह टिकट के दावेदारों को पार्टी टिकट से वंचित होने की स्थिति में पक्ष बदलने के मौके से रोकने का काम करेगा.