नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा को ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में संसद सदस्यता से बर्खास्त करने के निर्णय के बाद, विपक्ष ने लोकसभा में वोटिंग का बॉयकॉट कर दिया है। एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट के बाद संसद में निष्कासन के प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में, विपक्ष ने रिपोर्ट की मान्यता नहीं दी, जिससे महुआ मोइत्रा को संसद से बाहर भगाया गया।
विवाद का मुद्दा:
लोकसभा में शुक्रवार को सुबह 11 बजे हुई कार्यवाही के दौरान, एथिक्स कमिटी ने 500 पेज की रिपोर्ट पेश की, जिसमें महुआ मोइत्रा को ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में दोषी ठहराया गया है। रिपोर्ट में मोइत्रा के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं और उन्हें संसद सदस्यता से बाहर करने की सिफारिश की गई है।
विपक्ष का विरोध:
रिपोर्ट की मान्यता न मिलने पर विपक्ष ने वोटिंग का बॉयकॉट किया और उसके बाद हुई वोटिंग में भी महुआ मोइत्रा के खिलाफ निष्कासन का निर्णय लिया गया।
मोइत्रा का विरोध:
संसद से निष्कासित होने के बाद, महुआ मोइत्रा ने विपक्षी सांसदों के साथ संसद में विरोध-प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, “लोकसभा की एथिक्स कमिटी ने मुझे झुकाने के लिए बनाई गई अपनी रिपोर्ट में हर नियम तोड़ दिया।”
बीजेपी का दृष्टिकोण:
बीजेपी से आए वक्ता ने रिपोर्ट का समर्थन करते हुए कहा, “विपक्ष से सवाल है कि उन्होंने जो किया, वो सही था या गलत। तीन बैठकें हुई और इसमें महुआ मोइत्रा को समय दिया गया। मीटिंग के दौरान मोइत्रा ने बदतमीजी की।”
कांग्रेस का आरोप:
कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर आरोप लगाया कि चर्चा में उन्हें ‘आनन-फानन’ में चर्चा कराये जाने का आरोप लगाया और कहा कि इससे ‘प्राकृतिक न्याय’ के सिद्धांत का उल्लंघन हो रहा है।
टीएमसी का विरोध:
टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि नियमों और संविधान के खिलाफ हो रहा है और महुआ मोइत्रा को बोलने का मौका दिया जाना चाहिए।
एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट:
एथिक्स कमिटी ने 9 नवंबर को दी थी रिपोर्ट, जिसमें मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोपों में दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट में संसद सदस्यता से उनको बाहर करने की सिफारिश की गई थी और उन्हें गंभीरता से लेकर कानूनी जांच की मांग की गई थी।