जिंदगी के ये जरूरी सबक सिखाती है गैंग्स ऑफ वासेपुर, जानें क्या कहती है सरदार खान और फैजल की लाइफ

Mumbai: 

साल 2012 में रिलीज हुई अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ दर्शकों को इतनी पसंद आई थी कि इस फिल्म के किरदार और इसके डायलॉग्स आज भी दर्शकों के जेहन में रचे-बसे हुए हैं. झारखंड के धनबाद जिले में बसे छोटे-से शहर वासेपुर में सेट इस फिल्म की कहानी ने न सिर्फ दर्शकों का मनोरंजन किया बल्कि फिल्म ने जीवन से जुड़ी कई सीख भी दी. फिल्म के 11 साल होने पर आइए जानते हैं कि फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जीवन से कौन-कौन सी सीख देती है.

मजबूत इरादे रखना और अपनी योजनाओं को पूरे स्टाइल के साथ पेश करना, ये बात आप मनोज बाजपेयी के किरदार, सरदार खान से सीख सकते हैं.

प्यार करने की कोई उम्र नहीं होती, सरदार खान और दुर्गा की प्रेम कहानी इस बात को दिखाती है.

सरदार खान के पास न पैसा था, न ताकत है, न राजनीतिक समर्थन. उनके पास केवल एक छवि थी, शाहिद खान नामक एक ब्रांड. यह उनकी एकमात्र ताकत थी, उनके बारे में यही एक बात थी जो रामाधीर सिंह को डराती थी.

सरदार खान का किरदार सिखाता है कि खुद पर यकीन कर आप अपने दुश्मन को हरा सकते हैं.

फैजल खान यानी नवाजुद्दीन सिद्दीकी और मोहसीन यानी हुमा कुरैशी के बीच का रिशता भी काफी कुछ सिखाता है. फैजल, मोहसीन से परमिशन लेकर हाथ पकड़ता है, जो बताता है कि अनुमति की क्या अहमियत है.

 

साथ ही इस फिल्म से सीख ये भी मिलती है कि अपने अगले कदम के बारे मे किसी को पता नहीं होना चाहिए.

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