प्रेमी-प्रेमिका का कत्ल: मैं सतीश के साथ जीना और मरना चाहती हूं… इसलिए मुझे भी मार दो, मर्डर कर दफ्न की लाश

गोंडा के मेहनौन गांव में बेटी आरती चौरसिया व उसके प्रेमी सतीश चौरसिया की हत्या के आरोपी कृपाराम चौरसिया व उसके पुत्र राघवराम चौरसिया को बुधवार को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। जहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।

ऑनर किलिंग के आरोपी कृपाराम चौरसिया व उसके पुत्र राघवराम चौरसिया ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि रविवार देर रात सतीश चौरसिया चोरी से उनके घर आया। वह आरती के कमरे में था। भनक लगने पर परिजनों ने कमरे का दरवाजा खुलवाने की कोशिश की मगर दोनों ने कुंडी नहीं खोली। इस पर सब्बल से दीवार पर चोट मारनी शुरू कर दी।

जिससे डरकर सतीश ने दरवाजा खोल दिया और अपनी गलती पर माफी मांगने लगा। मगर कृपाराम और राघवराम के सिर पर खून सवार था। दोनों ने आरती के हाथ-पैर बांधकर मुंह में कपड़ा ठूंस दिया। फिर एक कमरे में बंद कर दिया।
इसके बाद सतीश की जमकर पिटाई की। फिर दोनों हाथ बांधकर गले में रस्सी डालकर फांसी पर लटका दिया। इसके बाद आरती के सिर पर वार कर उसकी भी रस्सी से गलाकर कसकर हत्या कर दी।

धानेपुर थानाध्यक्ष सत्येंद्र वर्मा ने बताया कि आरती का अयोध्या व सतीश का गोंडा में पोस्टमार्टम हुआ है। सतीश का शव गांव पहुंचा तो मां और बहन रो-रोकर अचेत हो जा रही थीं। कड़ी सुरक्षा के बीच गांववालों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर पिता और भाई ने सतीश का अंतिम संस्कार किया। वहीं, आरोपी कृपाराम चौरसिया व राघवराम चौरसिया को कोर्ट में पेश करके जेल भेजा गया है।
मेहनौन गांव के रहने वाले विन्देश्वरी चौरसिया बेटे लवकुश, संजय व हरिश्चंद्र के साथ मुंबई के भिवंडी में रहते हैं। संजय व हरिश्चंद्र उनके साथ पावरलूम में काम करते हैं। जबकि लवकुश चाय की दुकान चलाता है। दो बेटे सतीश व विशाल गांव में मां के साथ रहते थे। बेटे सतीश की हत्या पर विन्देश्वरी फफक कर रो पड़े।

बोले- पता होता उसकी हत्या कर दी जाएगी तो उसे भी अपने साथ मुंबई ले जाता। बेटे को तो न खोना पड़ता। विन्देश्वरी कहा कि फांसी की सजा सुनाने का सिर्फ अदालत को अधिकार है। मगर पिता-पुत्र ने मिलकर जल्लाद सरीखे मेरे जिगर के टुकड़े सतीश को फांसी दे दी।

दरअसल, मेहनौन गांव में प्रेमी के साथ पकड़े जाने पर आरती ने पिता और भाई से काफी अनुनय विनय की। पिता और भाई उसके प्रेमी सतीश कुमार चौरसिया की पिटाई करने लगे तो वह रो पड़ी। आरती ने हाथ जोड़कर कहा- मैं सतीश के साथ ही जीना और मरना चाहती हूं। इसलिए मारना है तो दोनों को मार दो, एक को नहीं। इस पर भी आरती के पिता कृपाराम चौरसिया व भाई राघवराम चौरसिया का दिल नहीं पसीजा।
दोनों बेरहमी से सतीश को पीटते रहे। आवेश इस कदर बढ़ा कि रस्सी से गला ही कस दिया। कुछ क्षण छटपटाने के बाद सतीश ने दम तोड़ दिया। ये वाकया आरती के भाई व दोहरे हत्याकांड के आरोपी राघवराम चौरसिया ने पुलिस की पूछताछ में बयान किया है।

पुलिस का दावा है कि आरती के पिता व भाई ने जुर्म कुबूल कर लिया है। बताया कि सतीश की हत्या करने के बाद उन दोनों ने तैश में आरती की भी हत्या कर दी। इसके बाद पुलिस से बचने के लिए जुगत करने लगे। फिर सतीश का शव चारपाई पर लेकर निकले और गांव के बाहर गन्ने के खेत में छिपा दिया। जिस रस्सी से गला कसा था उसे भी वहीं छोड़ आए और चारपाई भी।
इसके बाद सोमवार भोर ही आरती का शव ठिकाने लगाने के लिए परिवार के लोग अयोध्या चले गए। इससे भी गांव में चर्चाएं होने लगीं थीं। दोहरे हत्याकांड के आरोपी पिता व भाई ने पुलिस से यह भी माना कि उन्हें अनुमान हो गया था कि वह बच नहीं पाएंगे। पुलिस की मानें तो दोनों खुद ही पूरी वारदात की जिम्मेदारी ले रहे हैं। साथ ही हत्या और साक्ष्य मिटाने के अपराध को स्वीकार भी कर लिया।
आरती का शव अयोध्या ले जाकर उसके पिता व भाई ने बालू में दफन किया था। इसकी जानकारी मिलने पर थानाध्यक्ष ने जिलाधिकारी से अनुमति हासिल की। फिर पुलिस टीम संग अयोध्या गए। वहां के अधिकारियों से बात करके बालू के टीले में दफन आरती का शव निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

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